Aug 28, 2024
बारिश
1-- ज़रा ज़ोर से बरसो ए बारिश की बूँदो
कुछ सूखे ख्वाबों को भी थोड़ा भिगो दो
पर इतना ख्याल करना इन्हे बहाकर ना ले जाना,
बस इतना ही भिगोना कि ये फिर से ताज़ा हो जाएँ।
2- ऐ बारिश की बूँदों कितना इतराती हो तुम ,
क्यों धरती को इतना तरसाती हो तुम नहीं जानती हो कि धरती की जान हो तुम, फिर भी मिलने को तड़पाती हो तुम।
3- -ये रिमझिम चमकती सी बारिश की बूँदे
जो बिखरी धरा पर ये मोती सी बूँदे
कोई इनमें झूमे है नाचे है गाए
किसी के है मन में सैलाब ये लाए।
4- ऐ बारिश की बूँदों यूँ ही ना ढुलकना
मैं छाते में भर लूँ कुछ ऐसे बरसना
जहाँ भी मैं जाऊँ मेरे साथ ही चलना
तरसा हो कोई तो उसके साथ ही रहना।
5- ऐ बारिश की बूँदों उस बचपन को ढूँढो
कहाँ गया वो बेफिक्र सा बचपन,
जब तुम आती थी तो कागज़ की कश्ती चलाते थे
छिछले से पानी में तैरते उछलते शोर मचाते थे।
तुम तो पहले के जैसी आज भी मस्त मगन सी हो
मगर क्यूँ अब तुमसे बचने को छाते में छुप जाते हैं।
सपनों को बुनते समय का ये कैसा पड़ाव है आया
कि बचपन की खुशियों को जिम्मेदारियों ने बहाया।
Anju Dwivedi
Anju Dwivedi teaches Hindi in a renowned school in Ajmer. She takes pleasure in expressing her deepest thoughts, ideas and feelings through writing short stories, poems and shayari.